प्राणो का आधार यही है,
जीवन की झंकार यही है,
हर कण में संगीत बसा है,
परमेश्वर का प्यार यही है
सात सुरों की मधुरिमा का,
अप्रतिम विस्तार यही है,
भावनाओं की अभिव्यक्ति का,
स्नेहमय संसार यही है,
हृदय का स्पंदन हृदयंगम हैं,
श्वांस में सुरों का संगम है,
हर तार की हर तरंग में,
जीवंतता की नयी उमंग है
तमस को ज्योति स्वरूप दे,
ऐसा 'दीपक' राग यही है,
प्राणों की त्ृष्णा को तृप्ति दे,
राग 'मेघ मल्हार' यही है
धर्म जाति में भेद ना जाने,
संकीर्णता का उपचार यही है,
प्रेम ही बाँटे, प्रेम सिखाए,
भावनाओं का अंबार यही है
मनुजता का आभूषण है
मनुज का उद्धार यही है
असहिष्णुता की आँधी में,
अचल अडिग दीवार यही है
सुख की आँधी, दुख की वर्षा,
हर मौसम का प्यार यही है
जीवन के हर मोड़ की व्याख्या,
करता हर 'आकर' यही है
जीवन सीमाओं से मुक्त है
क्षितिज के उस पार यही है
आत्म-परमात्म के संबंधों का,
विस्तृत आधार यही है
ज़ीवन की लयबद्धता का,
सृजन का सब सार यही है
संगीत से जीवित हर कण है
संगीत बिना संसार नही है !
2 comments:
Wow! Aai says, 'Changle Shaabd Waaparte'. Good one. :)
This one is majestic. Guess, I didn't quite appreciate the meaning in the first read. The analogy of the music with reality of life is some real, original thought. Well rhymed. Words, I need not mention, are nicely chosen.
Beyond improvement. :)
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