आक्रोश !

जिस दर्द ने मार -मार कर जीना सिखाया,
उससे बड़ा दर्द अब कहाँ से दोगे?
जिन आंसुओं को संजो कर समंदर बनाया,
उस समंदर से मोती क्या छीनोगे?

जिन टुकड़ों को जोड़ कर आइना बनाया,
उस आईने को अब लोहे से क्या फोडोगे ?

जिन पंखों ने टूट टूट कर जुड़ना सीखा,
अब उनको क्या काटोगे , क्या तोड़ोगे?

मस्त पवन के एक झोंके कि मस्ती को,
पिंजर में बाँध तुम कैसे रखोगे?

ऊपर वाले से डरना सीखो मेरे दोस्त,
उसकी लाठी पड़ी तो क्या पकड़ोगे क्या छोडोगे?