तंग ज़िन्दगी के झुरमुट से, एक छोटी सी साँस निकल आई,
थोडी सी महक में नहाई, थोडी रंगों में मुस्काई,
कुछ देर इधर उधर डोलती, कुछ कूद फांद कर आई,
बूंदों को छुआ, सागर को छुआ, बिजली को छुआ, बादल को छुआ,
एक पल में जाने कितने सितारों से खेली परछाई,
...और फिर, सांझ के डर के मारे, चुपचाप घर लौट आई...
3 comments:
That's a cute one.
लौटी, कुछ देर ठहरी , कुछ सकुचाई..
खिड़की के छज्जे पर थोडा सा अलसाई..
अलाव को तापने फिर भीतर चली आई..
कहाँ अकेली फिर, बिछौने पर खेली फिर
नींदों के झोंकों से पकड़म पकड़ाई
किरणों के सपनों में जम्हाई-अंगड़ाई..
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